इतना दर्द हमें क्यों होता है,
कुछ टूटा है या टूट रहा......।।
ये मौसम बड़ा सुहाना है,
रितु भी अति मस्तानी है...।
फिर गम के बादल क्यों छाए
कुछ छूटा है या छूटा रहा.....।।
महफिल में हंसी केे ठहाके हैं,
हाथों में जाम के प्याले हैं...।
फिर तन्हाई ने क्यों घेरा
कुछ भूला है या याद रहा .....।।
तेेरे साथ जो लम्हें गुजारे हैं,
वो जो खुषियों के खजानें हैं...।
फिर आज उदासी क्यों छाई
कुछ दूर हुआ, या दूर रहा.....।।
इतना दर्द हमें क्यों होता है,
कुछ टूटा है या टूट रहा.....।।
कुछ टूटा है या टूट रहा......।।
ये मौसम बड़ा सुहाना है,
रितु भी अति मस्तानी है...।
फिर गम के बादल क्यों छाए
कुछ छूटा है या छूटा रहा.....।।
महफिल में हंसी केे ठहाके हैं,
हाथों में जाम के प्याले हैं...।
फिर तन्हाई ने क्यों घेरा
कुछ भूला है या याद रहा .....।।
तेेरे साथ जो लम्हें गुजारे हैं,
वो जो खुषियों के खजानें हैं...।
फिर आज उदासी क्यों छाई
कुछ दूर हुआ, या दूर रहा.....।।
इतना दर्द हमें क्यों होता है,
कुछ टूटा है या टूट रहा.....।।
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