सच कहते थे तुम

मुझसे प्यार है यही कहा था न तुमने?
तुम्हारे शब्द आज भी गूंज रहे हैं मेरे कानों में,
जनाब आप प्यार को सही परिभाषित नहीं कर पाये,
बस कह दिया तुमसे प्यार है ......!!
शायद कहना भूल गये होगे तुम
कि तुम्हें पैसे प्यारे हैं,
ईमानदार होते तो कह देते तुम
कि पैसे की खुशबू ने खींचा है तुम्हें मुझसे .......!!

अपनी हर बात मनवाने की नजाकत क्या खूब थी तुममें,
सच कहते थे तुम, जो तुम दे डालोगे मुझे
वो कोई और भला क्या देगा....!!
भविष्य के ज्ञाता थे तुम, क्योंकि जो तुमने दिया
वो अब तक कोई न दे पाया ..!

जो आंसू, घुटन, पीड़ा और जिल्लत तुमने दी,
वो आज भी दिल में कहीं दबी पड़ी है ..!!
तुमने ऐसे प्यार के मोती दिये
कि मैंने समुद्र का किनारा छोड़ दिया,
जब कोई मुझ पर हक जताता तब मुझे तुम याद आते,
जब कोई पास आने की कोशिश करता तब मुझे तुम याद आते,
जब कोई प्यार का इजहार करता तब मुझे तुम याद आते,
सच ही कहा था तुमने, जो तुम दे दोगे कोई और क्या देगा ..!!

पर कहना भूल गये थे शायद
कि मैं एक दिन कुचल दी जाऊंगी,
तुम्हारे प्यार के बोझ तले..!!
कैसे बता दूं तुमने जो प्यार कहकर दिया,
आज भी वो जख्म दिल में कैद हैं,
यूं तो मिट्टी दाल दिया है उस पर,
लेकिन कोई नहीं जानता वो जख्म आज भी ताजा हैं .!!
सच कहते थे तुम,          
जो तुम दे डालोगे मुझे वो कोई और भला क्या देगा ...!!
                                   दीप्ति मिश्रा

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